मंगलवार, 25 जुलाई 2017

कैरियर बनाये ज्योतिष की मदद से

अपना करियर बनायें ज्योतिष की मदद से  

💥10+2के बाद बिषय चुनाव ज्योतिष की मदद से करे🌼📗  
                   
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् ।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम् ।।

अर्थात विद्या से विनयशीलता आती है, विनयशीलता से योग्यता और योग्यता से धन की प्राप्ति होती है। धन हो तो मनुष्य के मन में धर्म के प्रति रुझान होता है और जहाँ धर्म होता है वहां सुख की प्राप्ति होती है।
10+2 में विज्ञान लिया जाये या वाणिज्य (कॉमर्स) या आर्ट्स, यह कुंडली के अध्ययन द्वारा पता चलता है। अतः आप अपना नौकरी जन्मकुंडली दिखाकर बदल सकते हैं।

💥🌈मालूम है? हममें से हरेक व्यक्ति असीमित धन -दौलत,प्रचुरता और  अनंतखुसी का हकदार है। सिर्फ यह जानना जरूरी है कि कब और कैसे? ज्योतिष भाविश्यवाणी न करता बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है समस्या है तो समाधान भी है,सभी कठिनाईयो से लड.कर सफलता  पाने  के लिए ज्योतिष विज्ञान मार्गदर्शन देती है

आप भी अपनी कठिनाईयो को सफलता मे बदलने के लिए मेरे व्हाटसएप &पेटियम नं.9015768400 पर सम्पर्क करे परामर्श शुल्क 1100₹     ,   
 रत्न खरीदने के लिए भी मेरे नं. पर सम्पर्क करे 💥



जन्मकुंडली द्वारा पता चलता है कि उचित समय कब। अगर आप नौकरी छोड़ के बिजनेस करना चाहते हैं तो कब शुरू करे, किस सेक्टर या प्रोडेक्ट में शुरू करें एवं अकेले करें या पार्टनर के साथ, यह सब आप जान पायेंगे।
किसी कुंडली के विश्लेषण के लिए सबसे कठिन और महत्त्वपूर्ण पहलू, शिक्षा और उससे जुड़ा व्यवसाय, नौकरी की गणना है। आजकल उप व्यवसाय इतने बढ़ गए गए हैं कि उनमें इतनी प्रकार की भिन्नता आ गयी हैं कि व्यवसाय के वास्तविक रूप को निश्चित करना बहुत ही कठिन हो गया है। समाज में प्रतियोगिता और इंसान की अपनी महत्वाकांक्षा इतनी बढ़ गयी हैं कि ज्योतिष इस हालत में एक रामबाण की तरह काम करता है।


add-

🌈ज्योतिषी भाविश्यवाणी नही करता बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है।    
  समय एक सा कभी नही रहता । 
👉ग्रह नक्षत्र बदलते रहते है और परिस्थितियां भी। दशाएं अपना प्रभाव दर्शाती है तो आकाश मे भ्रमण करने वाले ग्रह भी ।जन्म कुंडली एक स्थूल रूप है आपके जीवन का । 
समय समय पर  आचार्य अभिनव दूबे जी सलाह लेकर आप आने वाली कठिनायो,परेशानियो को पहले जानकर सावधान रह सकते है  आचार्य अभिनव दूबे जी से Whatsapp no9015768400से सलाह लेकर ग्रहो के दुष्प्रभाव को कम तो कर ही सकते है ।



ज्योतिष के द्वारा हम व्यक्ति के ग्रहों का अध्ययन करते हैं। नौकरी के लिए छठा भाव प्रमुख होता है। वहीं व्यवसाय के लिए सप्तम भाव प्रमुख है। प्रोफेशनल प्रैक्टिस के लिए दशम भाव का गौर से चिंतन करना होता है। यह केवल प्रमुख भाव होते हैं। इसके अलावा व्यक्ति की कुंडली का लगन, धन भाव, पराक्रम भाव, अष्टम, दशम, एकादश भाव इत्यादि भी अध्ययन करने पड़ते हैं। सभी सुसंगत तथ्यों की उचित जांच के बाद यह पता चल जाता है कि कोई विशेष आजीविका उसके लिए मुनाफा लाएगी या हानि का कारण बन सकती है।
जन्म कुंडली के जन्मांग, राशि चक्र, नवमांश
दशमांश आदि षोडशवर्ग कुण्डलियाँ, विभिन्न दशाएं एवं गोचर ग्रह द्वारा मिलाकर भाग्य को सूचित करते हैं एवं दिशा दिखाते हैं आजीविका के मार्ग की। योग्य ज्योतिषी के पास जाकर यह विश्लेषण करना बहुत ही फायदेमंद रहता है क्योकि ऐसे गाइडेंस के बाद व्यक्ति और उसके घर वाले अपना मूल्यवान धन और समय डायरेक्ट उस क्षेत्र में लगा सकते हैं जिससे व्यक्ति को सबसे ज्यादा फायदा और सफलता मिलने का योग है।
मन की निराशा से बचा जा सकता है और असफलता से जो हीन भावना से युवक ग्रस्त होते हैं, उनका आत्मबल टूट जाता है। उससे भी बचा जा सकता है। ज्योतिष के द्वारा तीर उसी निशाने पर लगाया जाता है जिससे व्यक्ति जीवन में सफलता, आदर और सम्मान की सीढ़ी चढ़े और बुलंदियों को अर्जित करे।
कोई भी नौकरी या व्यवसाय अपनाने से पहले का महत्त्वपूर्ण कदम होता है- उच्च शिक्षा का. ज्योतिष शास्त्र में यह विषय बहुत ही सुंदरता से निर्धारण होता है कि कौन के ग्रह बली है, कौन से गृह और कौन से भाव आपस में सम्बन्ध बना रहे हैं, कौन से आगामी ग्रह की दशा आने वाली है। इन सब बातांे से इंगित होता है कि व्यक्ति की प्रवृत्ति किस विषय में होगी। ज्योतिष ज्ञान के मूल स्रोत्र का उचित अध्ययन कर शिक्षा का स्वरुप बताना संभव है।
कुछ ग्रह और उनसे सम्बंधित विषय यहाँ प्रस्तुत हैं इससे आपको ज्ञात होगा की एक ही ग्रह कितने विभिन्न प्रकार के कारकत्व दिखा सकता है और सही विषय का चयन सही समय पर होना भविष्य में सफलता के लिए कितना आवश्यक है-
चन्द्रः मेधा शक्ति, स्मरण शक्ति के लिए चन्द्र का बलि होना आवश्यक है।
बुध: गणितीय क्षमता, अभिव्यक्ति और आकलन की क्षमता, विश्लेषण क्षमता, वाक शक्ति, लेखन क्षमता के लिए बुध को बलि होना चाहिए। यह बलि होने से व्यक्ति अपना करियर बना सकता है। वाणिज्य, बैंकिंग, अर्थशास्त्र, पत्रकारिता, मास कम्युनिकेशन इत्यादि।
सूर्य: सूर्य तेजस्विता एवं सफलता का कारक है. यह सरकारी नौकरी, अपना काम या प्राइवेट संस्था में उच्च पद दिखता है. लेकिन किस सेक्टर या इंडस्ट्री में जाना चाहिए यह कुंडली के बाकि ग्रहांे की पोजीशन बताएगी।
मंगल: इंजीनियरिंग, माइनिंग, सर्जरी, युद्ध विद्या इत्यादि।
गुरु: देवालय का सलाहकार, कैबिनेट मंत्री, आई पी एस अधिकारी, उच्च स्तरीय नौकरी, जज या वकालत, इत्यादि।
शुक्र: अभिनय, फैशन, एडवरटाइजिंग, इंटीरियर डेकोरेशन, एयरलाइन्स, एयर होस्टेस, यात्रा एजेंसी से सम्बंधित, होटल इत्यादि में सफलता मिलने का योग होता है।
शनि: इसमें भी बहुत सारे सेक्टर्स हैं जैसे लोहा, तेल, रबर, स्याही, कुकिंग गैस इत्यादि।
अगर आपके पास आपके जन्म के डिटेल्स नहीं हैं या निश्चित नहीं हैं तो भी आपको पूरी करियर गाइडेंस मिल सकती हैं प्रश्न कुंडली की महान तकनीक से।
आचार्य अभिनव दूबेwhAtsapp&Paytem  no-9015768400

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10+2 में विज्ञान लिया जाये या वाणिज्य (कॉमर्स) या आर्ट्स, यह कुंडली के अध्ययन द्वारा पता चलता है। अतः आप अपना नौकरी जन्मकुंडली दिखाकर बदल सकते हैं।

मालूम है? हममें से हरेक व्यक्ति असीमित धन -दौलत,प्रचुरता और  अनंतखुसी का हकदार है। सिर्फ यह जानना जरूरी है कि कब और कैसे? ज्योतिष भाविश्यवाणी न करता बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है समस्या है तो समाधान भी है,सभी कठिनाईयो से लड.कर सफलता  पाने  के लिए ज्योतिष विज्ञान मार्गदर्शन देती है आप भी अपनी कठिनाईयो को सफलता मे बदलने के लिए मेरे व्हाटसएप &पेटियम नं.9015768400 पर सम्पर्क करे परामर्श शुल्क 501₹     ,    रत्न खरीदने के लिए भी मेरे नं. पर सम्पर्क करे

जन्मकुंडली द्वारा पता चलता है कि उचित समय कब। अगर आप नौकरी छोड़ के बिजनेस करना चाहते हैं तो कब शुरू करे, किस सेक्टर या प्रोडेक्ट में शुरू करें एवं अकेले करें या पार्टनर के साथ, यह सब आप जान पायेंगे।
किसी कुंडली के विश्लेषण के लिए सबसे कठिन और महत्त्वपूर्ण पहलू, शिक्षा और उससे जुड़ा व्यवसाय, नौकरी की गणना है। आजकल उप व्यवसाय इतने बढ़ गए गए हैं कि उनमें इतनी प्रकार की भिन्नता आ गयी हैं कि व्यवसाय के वास्तविक रूप को निश्चित करना बहुत ही कठिन हो गया है। समाज में प्रतियोगिता और इंसान की अपनी महत्वाकांक्षा इतनी बढ़ गयी हैं कि ज्योतिष इस हालत में एक रामबाण की तरह काम करता है।
ज्योतिषी भाविश्यवाणी नही करता बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है।       समय एक सा कभी नही रहता । ग्रह नक्षत्र बदलते रहते है और परिस्थितियां भी। दशाएं अपना प्रभाव दर्शाती है तो आकाश मे भ्रमण करने वाले ग्रह भी ।जन्म कुंडली एक स्थूल रूप है आपके जीवन का । समय समय पर पं. मृत्युंजय द्विवेदी (ज्योतिषी)से सलाह लेकर आप आने वाली कठिनायो,परेशानियो को पहले जानकर सावधान रह सकते है पं. मृत्युंजय द्विवेदी व्हाटसएप नं.9015768400से सलाह लेकर ग्रहो के दुष्प्रभाव को कम तो कर ही सकते है ।
ज्योतिष के द्वारा हम व्यक्ति के ग्रहों का अध्ययन करते हैं। नौकरी के लिए छठा भाव प्रमुख होता है। वहीं व्यवसाय के लिए सप्तम भाव प्रमुख है। प्रोफेशनल प्रैक्टिस के लिए दशम भाव का गौर से चिंतन करना होता है। यह केवल प्रमुख भाव होते हैं। इसके अलावा व्यक्ति की कुंडली का लगन, धन भाव, पराक्रम भाव, अष्टम, दशम, एकादश भाव इत्यादि भी अध्ययन करने पड़ते हैं। सभी सुसंगत तथ्यों की उचित जांच के बाद यह पता चल जाता है कि कोई विशेष आजीविका उसके लिए मुनाफा लाएगी या हानि का कारण बन सकती है।
जन्म कुंडली के जन्मांग, राशि चक्र, नवमांश
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कोई भी नौकरी या व्यवसाय अपनाने से पहले का महत्त्वपूर्ण कदम होता है- उच्च शिक्षा का. ज्योतिष शास्त्र में यह विषय बहुत ही सुंदरता से निर्धारण होता है कि कौन के ग्रह बली है, कौन से गृह और कौन से भाव आपस में सम्बन्ध बना रहे हैं, कौन से आगामी ग्रह की दशा आने वाली है। इन सब बातांे से इंगित होता है कि व्यक्ति की प्रवृत्ति किस विषय में होगी। ज्योतिष ज्ञान के मूल स्रोत्र का उचित अध्ययन कर शिक्षा का स्वरुप बताना संभव है।
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चन्द्रः मेधा शक्ति, स्मरण शक्ति के लिए चन्द्र का बलि होना आवश्यक है।
बुध: गणितीय क्षमता, अभिव्यक्ति और आकलन की क्षमता, विश्लेषण क्षमता, वाक शक्ति, लेखन क्षमता के लिए बुध को बलि होना चाहिए। यह बलि होने से व्यक्ति अपना करियर बना सकता है। वाणिज्य, बैंकिंग, अर्थशास्त्र, पत्रकारिता, मास कम्युनिकेशन इत्यादि।
सूर्य: सूर्य तेजस्विता एवं सफलता का कारक है. यह सरकारी नौकरी, अपना काम या प्राइवेट संस्था में उच्च पद दिखता है. लेकिन किस सेक्टर या इंडस्ट्री में जाना चाहिए यह कुंडली के बाकि ग्रहांे की पोजीशन बताएगी।
मंगल: इंजीनियरिंग, माइनिंग, सर्जरी, युद्ध विद्या इत्यादि।
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Astro Mritunjai Dwivedi whAtsapp&Paytem  no-9015768400

मंगलवार, 13 जून 2017

लाल किताब के गुप्त सिध्दउपाय


लाल किताब के सिद्ध गुप्त उपाय
(फलित ज्योतिषएवं ग्रह नक्षत्र विशेषज्ञ)
परामर्श शुल्क-501₹
Paytem&Mpesa no-9015768400
1.       आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !
2.       घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या
एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !
3.       परेशानी से मुक्ति के लिए :
आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !
4.      कुंवारी कन्या के विवाह हेतु :
१.       यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !
२.      प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी
5.       व्यापार बढाने के लिए :
१.       शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !
२.      पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !
३.      शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !
क्या आप अपने कुन्डली के अनुसार सफल व्यवसाय करना चाहते है?      क्या आप 12वी के बाद बच्चे के कुंडली के अनुसार योग्य विषय का चुनाव करना चाहते है जिससे बच्चा आगे चलकर अपने क्षेत्र मे सर्वोच्च हो सके?                                क्या आपकी शादी नही हो रही है?                 समस्या आपका समाधान हमारा  whatsapp no-9015768400
6.       लगातार बुखार आने पर :
१.       यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !
२.      इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !
३.      यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा
7.       नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !
8.        कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो :
यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !
9.       मुकदमें में विजय पाने के लिए :
यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !
10.       धन के ठहराव के लिए :
आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !
11.       मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !
12.       बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
१.       एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
२.      प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !
13.       किसी रोग से ग्रसित होने पर :
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !
14.       प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !
15.       नौकर न टिके या परेशान करे तो :
हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !
16.       बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :
हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !
17.       यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :
१.       कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !
२.      काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !
३.      6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !
18.       अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो :
१.       गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !
२.      हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !
19.       पति को वश में करने के लिए :
यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा
पं. मृत्युंजय द्विवेदी -(फलित ज्योतिषएवं ग्रह नक्षत्र विशेषज्ञ) परामर्श शुल्क-501₹ व्हाटसएप नं.9015768400     ,पेटियम वएम पैसा नं.9015768400
email-Mritunjaidwivedi@gmail.com
नोट :
1. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करने चाहिए ! अर्थात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !
2. सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए !
3. किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है !
4. सभी उपाय पूरे विश्वास व श्रद्धा से करें, लाभ अवश्य होगा !
5. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए ! यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें !    एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !
6. जो भी उपाय शुरू करें तो उसे पूरा अवश्य करें ! अधूरा न छोडें 

सोमवार, 5 जून 2017

अष्टकवर्ग मे नक्षत्रो द्वारा गोचर का महात्व

कुंडली में अष्टकवर्ग का महत्व वह नक्षत्रों द्वारा गोचर के फल मिलने का समय 

नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र और अति मित्र के रूप में नौ वर्गों में बांटा जाता है. इस प्रकार से सभी सत्ताईस नत्रों का विभाज्न आसानी से हो जाता है. वर्गों के अनुसार 27 नक्षत्र तीन भागों में बंट जाते हैं. कुण्डली में इनकी स्थिति का अनुमान चंद्रमा से होता है. इनकी गिनती चंद्रमा द्वारा गृहीत नक्षत्र से प्रारंभ होती है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी जातक का जन्म मकर राशि के उत्तरषाढा़ नक्षत्र में हुआ हो तो यह उक्त जातक का जन्म नक्षत्र कहलाएगा.
क्या आप भाविश्य अपना य परिवार के किसी सदस्य का भाविश्य जानना चाहते है? 
                           क्या परिवार के किसी सदस्य का बुरी संगत छुढ.ना चाहते है?     
             क्या आप अपना भाग्योदय चाहते है?              सम्पर्क करे व्हाट्सएप नं.9015768400,             
ज्योतिषी ग्रंथों में ग्रहों के विभिन्न नक्षत्रों में गोचर के फलों का उल्लेख विस्तारपूर्वक मिलता है. कुछ के अनुसार किसी भी ग्रह का जन्म नक्षत्र से तीसरे, पांचवें और सातवें नक्षत्र में गोचर काफी परेशानी देने वाला रह सकता है. यह तीन नक्षत्र विपत, प्रत्यरि और वध तारा हैं इनमें त्रिकोण समुह आता है जिसके अंतर्गत जब कोई शुभ ग्रह इन नक्षत्रों में गोचर करता है तो परिणाम अनुकूल नहीं होते तथा जब पाप ग्रह या क्रूर ग्रह का इन नक्षत्रों में गोचर होता है तो अनुकूल फलों की प्राप्ति हो सकती है.
ज्योतिष में विभिन्न ग्रहों का अलग-अलग नक्षत्र में गोचर का फल भिन्न-भिन्न होता है.
सूर्य 
सूर्य का जन्म नक्षत्र से पहले, चौदहवें और तेईसवें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल देने वाला बनता है. किंतु अन्य नक्षत्रों पर यह शुभ फलदायक होता है.
चंद्रमा 
चंद्रमा का जन्म नक्षत्र से 1, 2, 16 और 18 नक्षत्र पर गोचर अशुभ फलदायक होता है. अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक होता है.
मंगल | Mars Planet
मंगल का जन्म नक्षत्र से 1, 8, 12, 15, 18, 21वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फलदायक माना गया है और इसके अतिरिक्त अन्य नक्षत्रों में इसका गोचर शुभ कहा गया है.
बुध | Mercury Planet
बुध का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
बृहस्पति | Jupiter Planet
गुरू का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
शुक्र | Venus Planet
शुक्र ग्रह का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
क्या आप शनि के साढे साती से परेशान है                 क्या आपके पासधन रूक नही रहा ?               क्या आप सन्तान चाहते है?    देर क्यो क्योफोन करे शाम 7बजे से शाम 10 बजे तक      विख्यात ज्योतिषी आचार्य


9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
राहु 
राहु का जन्म नक्षत्र से 1, 7, 9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
केतु | Ketu Planet
केतु का जन्म नक्षत्र से 1, 7, 9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

पुलिस कि जॉब चाहिए तो मँगलग्रह का करे उपाय, जो करे खुशहाल



मँगल ग्रह का करे उपाय ,जो करे खुशहाल    
मंगल सभी ग्रहो मे अपनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिकानिभाता है मंगल को हिम्मत शक्ति पराक्रम, उमंग, ताकत, काम्पटिसन, क्षमता, खेल, आग्नि, खून मांसल शरीर आदि का कारक माना गया है और इन 
सभी का नियंत्रक होने से मंगल  हमारी जन्मकुंडली में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
पर स्त्रियों की जन्मपत्रिका में "मंगल ग्रह"  विशेष भूमिका निभाता है नाड़ी ज्योतिष के कठिन नियमो में मंगल को स्त्रियों के लिए पति और पति सुख का कारक ग्रह माना गया है और स्त्रियों के लिएविशेष रूप से मंगल ही उनके वैवाहिक जीवन की स्थिति को नियंत्रित करने वाला ग्रह होता है और स्त्रियों की कुंडली में मंगल ही उनके सुहाग और सौभाग्य का कारक होता है अतः स्त्रियों की कुण्डली में मंगल की बली या कमजोर ही उनके पति सुख और वैवाहिक जीवन की शुभता या परेशानी निश्चित करता है।
महिलाओं की कुण्डली में मंगल का ताकतवर(बली) होना जहाँ अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन देता है तो वहीँ मंगल पाप पीड़ित हो या कमजोर होने पर विवाह में देरी, पति सुख और वैवाहिक जीवन में बहुत सी कठिनाईयांऔर उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ह
 स्त्री की कुंडली में मंगल यदि स्व राशि ,उच्च राशि मे हो, अथवा केंद्र (1,4,7,10) त्रिकोण (1,5,9) आदि शुभ भावों में हो और पाप के प्रभाव से मुक्त हो तो ऐसे में अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है दीर्घ काल तक सुहागऔर सौभाग्य बना रहता है, पर स्त्री की कुण्डली में मंगल यदि नीच राशि (कर्कराशि) में हो, दुःख भाव (6,8,12) स्थानमें हो ,विशेषकर आठवे घर में हो, मंगल, राहु या शनि के साथ होने से पीड़ित हो अथवा मंगल पर राहु या शनि की दृष्टि हो तो ऐसे में पति सुख कमी आती हैऔर वैवाहिक जीवन में संघर्ष और समस्याओं की स्थिति उत्पन्न होती है, पति के स्वास्थ मे परेशानीऔर जीवन संघर्षमय रहता है, स्त्रियों की कुंडली में मंगल का पीड़ित होना विवाह में देरी का भी कारण बनता है, यदि स्त्री की कुंडली में पीड़ित मंगल पर बली बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो वैवाहिक जीवन की समस्याओं का कोई ना कोई समाधान मिल जाता है और बाधायें बड़ा रूप नहीं लेती।
कुण्डली में मंगल पीड़ित होने पर यदि पति सुख और वैवाहिक जीवन बाधित हो रहा हो तो निम्न उपाय करना लाभदायक होगा -
1. ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें।
2. प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।
3. ताम्र पत्र का बना "मंगल यन्त्र" अपने पूजास्थल में स्थापित करके उसकी उपासना करें।
4. आचार्य अभिनव दुबे की सलाह के बाद यदि आपके लिए शुभ हो तो 'मूँगा' भी धारण कर सकते हैं।

शनिवार, 8 अप्रैल 2017

कुंडलीयो का महायोग जाने आचार्य अभिनव दुबे से

क्या आपकी कुंडली में भी है इनमें से कोई एक शुभ योग

ज्योतिष शास्त्र में ऐसे अनेक शुभ योग हैं, जो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होने पर उसकी हर क्षेत्र में तरक्की की राह खोल देते हैं। पंचमहापुरुष योग भी इन्हीं योगों में से है। इस योग की उपस्थिति जातक को उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में अत्यंत सहायता देती है। वह धनी-मानी, समाज में प्रतिष्ठित और संस्कारवान बन जाता है।

आचार्यअभिनव दुबे हैं कि पंचमहापुरूष योग में पांच शुभ योग होते हैं। यह पांचों योग बहुत ही शुभ और राजयोग के समान फलदायी होते हैं। ज्योतिषशास्त्र की भाषा में इस योग को पंच महापुरुष योग कहा जाता है। इस योग में पंच शब्द का उपयोग इसलिए हुआ है क्योंकि पांच ग्रहों शुक्र, बुध, मंगल, बृहस्पति व शनि में से किसी एक ग्रह या एकाधिक ग्रहों के एक विशिष्ट स्थिति में उपस्थिति से यह योग उत्पन्न हो सकता है। पंचमहापुरूष योग में पांच योगों में रूपक योग, भद्रक योग, हंस योग, मालव्य योग और शश योग शामिल होते हैं। कुंडली में इन पांचों योगों में से एक योग बनना भी बेहद शुभ माना जाता है।

(सिर्फ आप की कुंडली के महात्वपूर्ण योग को पहचान कर जीवन की दिशा उसी तरफ कर देने से जीवन सुखमय हो जायेगा सम्पर्क करे 9453296140,9015768400)
रूचक योग:
व्यक्ति की कुंडली में मंगल यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो रूचक योग होता है। ऐसा जातक अत्यंत साहसी, शूरवीर, शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है। यह अपनी योग्यता एवं मेहनत से भूमि एवं वाहन का सुख प्राप्त करते हैं। आमतौर पर यह दीर्घायु होते हैं और करीब 70 साल तक सुख एवं ऐश्वर्य का आनंद प्राप्त करते हैं। इस योग को भी राजयोग के समान शुभ माना गया है।
भद्रक योग:
बुध यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो भद्रक योग होता है। ऐसा जातक अत्यंत मधुर भाषी, विद्वान, बुद्धिमान होता है। यह व्यापार, लेखन एवं गणित के क्षेत्र में खूब नाम और यश अर्जित करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से सम्मानित और धनवान बनते हैं।
हंस योग :
बृहस्पति यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो हंस योग बनता है। ऐसा जातक विद्या में निपुण, विविध शास्त्रों का ज्ञाता, साधु प्रकृति, आचारवान, अपने व्यवहार, अपनी छवि से सभी के ह्रदय में विराजमान होने वाला आदरणीय होता है। वह शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद पर शोभायमान होता है।
मालव्य योग:
कुंडली में शुक्र यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो मालव्य योग बनता है। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है वह रोमांटिक होते हैं। कलात्मक विषयों में इनकी खूब रुचि होती है और खुद दिखने में सुंदर और आकर्षक होते है। ऐसे व्यक्ति जीवन में खूब धन कमाते हैं और ऐशो आराम से जीवन का आनंद लेते हैं। इनकी रुचि भौतिक सुख के साधनों में रहती है। ऐसे व्यक्ति चतुर और दीर्घायु होते हैं।
शश योग :
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी जन्मकुण्डली में शनि महाराज पहलेए चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होते हैं। उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है। इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर तुला राशि में भी बैठा हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है। इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च का होता है। जिनकी कुण्डली में यह योग मौजूद होता है वह व्यक्ति गरीब परिवार में भी जन्म लेकर भी एक दिन धनवान बन जाता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है।

मंगलवार, 28 मार्च 2017

कर्ज से परेशान आजमाइए 5 उपाय

कर्ज से परेशान हैं तो आजमाइए 5 बेहद आसान उपाय
Astro Mritunjai Dwivedi Whatsapp no-9015768400

घर खरीदने के लिए या फिर गाड़ी या दूसरी जरूरी चीजों को खरीदने के लिए आपने कर्ज लिया है और किसी कारण से ऐसी परिस्थिति बन गई है जिससे आपको कर्ज चुकाने में परेशानी आ रही है या कर्ज की वजह से आपके जीवन में किसी तरह की परेशानी चल रही है तो आपको इन आसान उपायों को आजमाकर देखना चाहिये

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कर्ज या उधार अगर अनुकूल मुहूर्त में नहीं लिया गया हो तो उसे चुकाने में काफी परेशानी आती है। जब व्यक्ति की ग्रह दशा अनुकूल नहीं होती है तब भी इस तरह की दिक्कत आती है। इसके लिए ज्योतिषशास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति आजमा सकता है

मंगलवार के दिन जब प्रदोष व्रत हो उस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इससे ग्रह बाधा दूर होती है और ऋण चुकाने की अनुकूल स्थिति बनती है।

ऋण संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए हकीक रत्न धारण करना भी लाभप्रद माना गया है।

बांसुरी बजाते हुए भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर घर में लगाएं और नियमित दर्शन करें।

अगर आप रुद्राक्ष धारण करना पसंद करते हैं तो तीन मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

बुधवार के दिन सुबह स्नान पूजा करने के बाद गाय को पालक या हरी घास खिलाएं। इस उपाय से बुध अनुकूल होता है।

पं. मृत्युंजय द्विवेदी वहाटसएप नं.9015768400,सभी ुरेशानियो का निश्चित उपाय सम्पर्क करे

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

अर्थ सहित हनुमान चालीसा,एक बार आवश्य पढे ,बार बार पढने का मन करेगा

हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया।

क्या हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं। आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो।

तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!!
        
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
📯《अर्थ》→ गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।★
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।★
📯《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।★
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥★
📯《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
📯《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥★
📯《अर्थ》→ हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।★
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कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥★
📯《अर्थ》→ आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।★
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हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥★
📯《अर्थ》→ आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।★
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शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥★
📯《अर्थ 》→ हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।★
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विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥★
📯《अर्थ 》→ आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।★
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥★
📯《अर्थ 》→ आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है।★
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सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥9॥★
📯《अर्थ》→ आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।★
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भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥★
📯《अर्थ 》→ आपने विकराल रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।★
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लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥★
📯《अर्थ 》→ आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।★
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रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।★
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥★
📯《अर्थ 》→ श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।★
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,सारद सहित अहीसा॥14॥★
📯《अर्थ》→श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।★
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जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥★
📯《अर्थ 》→ यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।★
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तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥★
📯《अर्थ 》→ आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।★
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तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥★
📯《अर्थ 》→ आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।★
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥★
📯《अर्थ 》→ जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।★
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥★
📯《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।★
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दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥★
📯《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन  काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।★
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप.रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।★
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू.को डरना॥22॥★
📯《अर्थ 》→ जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।★
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आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥★
📯《अर्थ. 》→ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।★
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भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥★
📯《अर्थ 》→ जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।★
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नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥★
📯《अर्थ 》→ वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।★
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सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥★
📯《अर्थ 》→ तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।★
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और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥★
📯《अर्थ 》→ जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।★
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चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥★
📯《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
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साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥★
📯《अर्थ 》→ हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।★
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥★
📯《अर्थ 》→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।★
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।★
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।★
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।★
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।★
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।★
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।★
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।★
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।★
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राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥★
📯《अर्थ 》→ आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।★
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तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥★
📯《अर्थ 》→ आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।★
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अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥★
📯《अर्थ 》→ अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।★
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और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।★
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संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥★
📯《अर्थ 》→ हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥★
📯《अर्थ 》→ हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।★
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जो सत बार पाठ कर कोई, छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥★
📯《अर्थ 》→ जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।★
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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥★
📯《अर्थ 》→ भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।★
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तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥★
📯《अर्थ 》→ हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।★
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पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥★
📯《अर्थ 》→ हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।★
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🌹सीता राम दुत हनुमान जी को समर्पित🌹
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