कुंडली में अष्टकवर्ग का महत्व वह नक्षत्रों द्वारा गोचर के फल मिलने का समय
नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र और अति मित्र के रूप में नौ वर्गों में बांटा जाता है. इस प्रकार से सभी सत्ताईस नत्रों का विभाज्न आसानी से हो जाता है. वर्गों के अनुसार 27 नक्षत्र तीन भागों में बंट जाते हैं. कुण्डली में इनकी स्थिति का अनुमान चंद्रमा से होता है. इनकी गिनती चंद्रमा द्वारा गृहीत नक्षत्र से प्रारंभ होती है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी जातक का जन्म मकर राशि के उत्तरषाढा़ नक्षत्र में हुआ हो तो यह उक्त जातक का जन्म नक्षत्र कहलाएगा.
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ज्योतिषी ग्रंथों में ग्रहों के विभिन्न नक्षत्रों में गोचर के फलों का उल्लेख विस्तारपूर्वक मिलता है. कुछ के अनुसार किसी भी ग्रह का जन्म नक्षत्र से तीसरे, पांचवें और सातवें नक्षत्र में गोचर काफी परेशानी देने वाला रह सकता है. यह तीन नक्षत्र विपत, प्रत्यरि और वध तारा हैं इनमें त्रिकोण समुह आता है जिसके अंतर्गत जब कोई शुभ ग्रह इन नक्षत्रों में गोचर करता है तो परिणाम अनुकूल नहीं होते तथा जब पाप ग्रह या क्रूर ग्रह का इन नक्षत्रों में गोचर होता है तो अनुकूल फलों की प्राप्ति हो सकती है.
ज्योतिषी ग्रंथों में ग्रहों के विभिन्न नक्षत्रों में गोचर के फलों का उल्लेख विस्तारपूर्वक मिलता है. कुछ के अनुसार किसी भी ग्रह का जन्म नक्षत्र से तीसरे, पांचवें और सातवें नक्षत्र में गोचर काफी परेशानी देने वाला रह सकता है. यह तीन नक्षत्र विपत, प्रत्यरि और वध तारा हैं इनमें त्रिकोण समुह आता है जिसके अंतर्गत जब कोई शुभ ग्रह इन नक्षत्रों में गोचर करता है तो परिणाम अनुकूल नहीं होते तथा जब पाप ग्रह या क्रूर ग्रह का इन नक्षत्रों में गोचर होता है तो अनुकूल फलों की प्राप्ति हो सकती है.
ज्योतिष में विभिन्न ग्रहों का अलग-अलग नक्षत्र में गोचर का फल भिन्न-भिन्न होता है.
सूर्य
सूर्य का जन्म नक्षत्र से पहले, चौदहवें और तेईसवें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल देने वाला बनता है. किंतु अन्य नक्षत्रों पर यह शुभ फलदायक होता है.
चंद्रमा
चंद्रमा का जन्म नक्षत्र से 1, 2, 16 और 18 नक्षत्र पर गोचर अशुभ फलदायक होता है. अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक होता है.
मंगल | Mars Planet
मंगल का जन्म नक्षत्र से 1, 8, 12, 15, 18, 21वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फलदायक माना गया है और इसके अतिरिक्त अन्य नक्षत्रों में इसका गोचर शुभ कहा गया है.
बुध | Mercury Planet
बुध का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
बृहस्पति | Jupiter Planet
गुरू का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
शुक्र | Venus Planet
शुक्र ग्रह का जन्म नक्षत्र से 1, 3, 7, 12, 18 एवं 19वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
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9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
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9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
राहु
राहु का जन्म नक्षत्र से 1, 7, 9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है.
केतु | Ketu Planet
केतु का जन्म नक्षत्र से 1, 7, 9, 11, 26 और 27वें नक्षत्र पर गोचर अशुभ फल दायक रहता है और अन्य नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक माना गया है
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