शनिवार, 28 जनवरी 2017

राहू केतु कभी नहीं करेगे परेशान बस इस उपाय से

राहु और केतु ग्रहों को शांत करने के सरल उपाय.

राहु-केतु ग्रहों को छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष की दुनिया में इन दोनों ही ग्रहों को पापी ग्रह भी बोला जाता है। इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं। कुछ ही मौके ऐसे होते हैं जब कुंडली में इनका प्रभाव शुभ प्राप्त होता है। राहु और केतु अगर जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो यह व्यक्ति को काफी परेशान करने का कार्य करते हैं। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक को अप्रत्याशित लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो प्रतिकूल प्रभाव भी उतना ही तीव्र होता है।

राहु-केतु के संबंध में पुराणों में कथा आती है कि दैत्यों और देवताओं के संयुक्त प्रयास से हुए सागर मंथन से निकले अमृत के वितरण के समय एक दैत्य अपना स्वरूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने अमृत पान कर लिया। उसकी यह चालाकी जब सूर्य और चंद्र देव को पता चली तो वे बोल उठे कि यह दैत्य है और तब भगवान विष्णु ने चक्र से दैत्य का मस्तक काट दिया। अमृत पान कर लेने के कारण उस दैत्य के शरीर के दोनों खंड जीवित रहे और ऊपरी भाग सिर राहु तथा नीचे का भाग धड़ केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
राहु की वक्री दृष्टि इंसान को संकटापन्न कर देती है। ऐसी स्थिति में मनुष्य की विवेक-बुद्धि का ह्रास हो जाता है तथा जातक उल्टे-सीधे निर्णय करने लगता है। राहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषणकर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, मलिन लोगों का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन, शत्रुओं को मित्र बनाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक रहता है।

इसी तरह से केतु बुरी आध्यात्मिकता एवं पराप्राकृतिक प्रभावों का कार्मिक संग्रह का द्योतक है। कुंडली में राहु-केतु ही मिलकर काल सर्पयोग का निर्माण भी करते हैं। केतु स्वभाव से एक क्रूर ग्रह हैं और यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक माना जाता है। अच्छी स्थिति में यह जहाँ जातक को इन्हीं क्षेत्रों में लाभ देता है तो बुरी अवस्था में यहीं हानि भी पहुंचता है।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य अभिनव  दुबे से करायें अपनी कुंडली की जांच और जानें कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं है राहु-केतु का दोष।
राहु और केतु की अशुभ दशा से बचने के लिए यदि प्रारंभ में ही उपाय शुरू करवा दिए जायें, तो बहुत अधिक हानि से बचा जा सकता है। जो आइये जानते हैं कि कैसे एक जातक इनके प्रभावों से बच सकता है
राहुग्रहशांति उपाय
यदि जन्म कुण्डली या वर्ष में राहु अशुभ हो तो शांति के लिए राहु के बीजमंत्र का 18000 की संख्या में जप करें।
राहु का बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

राहु यंत्र की घर में स्थापना से भी, व्यक्ति की पीड़ा कम हो जाती है।
राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है। मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों को चावल खिलायें। राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए। गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए। राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी।



केतुग्रह शांति उपाय



जिन जातकों की कुण्डली में केतु अशुभ फल प्रदायक हो तो ऐसे जाताकों को केतु के बीजमंत्र का 17000 की संख्या में जाप करना चाहिए व दषमांष हवन भी करना चाहिए।
केतु का बीजमंत्र - ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः
केतु यंत्र की घर में स्थापना भी जातक को लाभ प्रदान करती है।
दोस्तो हमारे ब्लाक को फालो अवश्य करे

केतु से पीड़ित व्यक्ति को कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है। गाय की बछिया, केतु से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है। अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए। केतु की दशा को शांत करने के लिए व्रत भी काफी लाभप्रद होता है। शनिवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती है। कुत्ते को आहार दें एवं ब्राह्मणों को भात खिलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी। किसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत प्रदान करता है।
“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” यह एक ऐसा शक्तिशाली देवी मंत्र है जिसके स्मरण, जप से सारे ग्रह दोष बेअसर हो जाते हैं। यह मन्त्र सभी नौ ग्रहों की शांति में उपयोगी होता है। नित्य रोज 108 बार इस मन्त्र के जाप से सभी ग्रह शांत हो जाते हैं।
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भाग्य को मजबूत करने का उपाय

भाग्य को मजबूत करने के उपाय

भाग्य (luck )को मजबूत करने के निम्न उपाय करने चाहिए।

बुध भाग्येश हो तो यह उपाय करे :

1. तांबे का कड़ा हाथ में पहने । 2. गणेश जी की आराधना करें। 3. गाय को हरा चारा दीजिये ।

शुक्र भाग्येश भाग्येश हो तो यह उपाय करे :

1. स्फटिक की माला से शुक्र के मत्र का जप करें। 2. चावल का दान करें। 3. लक्ष्मी जी की आराधना करें। चंद्र भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1.चंद्र के मत्र का जप करें । 2. चांदी के गिलास में जल पिना चाहिए। 3. शिव जी की आराधना करें।

गुरु भाग्येश हो तो यह उपाय करे :

1. विष्णु जी की आराधना करें। 2. गाय को रोटी खिलाएं। 3. पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए ।

शनि भाग्येश हो तो यह उपाय करे :

1. काले वस्त्रों ,नीले वस्त्रों को कम या न पहनें। 2. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। 3. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए ।

मंगल भाग्येश हो तो यह उपाय करे :

1. मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाना चाहिए । 2. लाल मसूर का दान करना चाहिए । 3. मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए । सूर्य भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए । 2. सूर्य को नियमित जल देना चाहिए । 3. सूर्य मंत्र का जप करें। अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करे Astro Mritunjai Dwivedi Whatsapp no-9015768400Email id -Mritunjaidwivedigmail.com

गुरू चंडाल योग

गुरु चांडाल योग वैदिक ज्योतिष में गुरु चांडाल योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में गुरु अर्थात बृहस्पति के साथ राहु या केतु में से कोई एक स्थित हो अथवा किसी कुंडली में गुरु का राहु अथवा केतु के साथ दृष्टि आदि से कोई संबंध बन रहा हो तो ऐसी कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है जिसके दुष्प्रभाव के कारण जातक का चरित्र भ्रष्ट हो सकता है तथा ऐसा जातक अनैतिक अथवा अवैध कार्यों में संलग्न हो सकता है। इस दोष के निर्माण में बृहस्पति को गुरु कहा गयाअ है तथा राहु और केतु को चांडाल माना गया है और गुरु का इन चांडाल माने जाने वाले ग्रहों में से किसी भी ग्रह के साथ स्थिति अथवा दृष्टि के कारण संबंध स्थापित होने से कुंडली में गुरु चांडाल योग का बनना माना जाता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में गुरु यदि कुंडली के पहले घर में स्थित हैं तथा राहु अथवा केतु में से कोई एक ग्रह गुरु के साथ ही पहले घर में स्थित है या फिर इन दोनों ग्रहों में से कोई एक ग्रह कुंडली के किसी अन्य घर में स्थित होकर गुरु के साथ दृष्टि के माध्यम से संबंध बनाता है तो कुंडली में गुरु चांडाल योग बन जाता है। वैदिक ज्योतिषि यह मानता हैं कि किसी कुंडली में राहु का गुरु के साथ संबंध जातक को बहुत अधिक भौतिकवादी बना देता है जिसके चलते ऐसा जातक अपनी प्रत्येक इच्छा को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है जिसके लिए ऐसा जातक अधिकतर अनैतिक अथवा अवैध कार्यों का चुनाव कर लेता है। इन वैदिक ज्योतिषियों के इस वर्ग का यह भी मानना है कि केतु का किसी कुंडली में गुरु के साथ संबंध स्थापित होने पर जातक के चरित्र में अवांछित त्रुटियां आ जातीं हैं तथा इस प्रकार का प्रभाव जातक को हिंसक, धार्मिक कट्टरवादी तथा पाखंडी बना सकता है जिसके चलते जातक अपने आस पास रहने वाले व्यक्तियों तथा समाज के लिए संकट बन सकता है।

गुरू राहू एक साथ कुंडली मे फलादेश


कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग इसके अतिरिक्त किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग होने पर यह भी संभव होता है कि इन दोनों ग्रहों में से राहु शुभ हों तथा गुरु अशुभ हों जिसके चलते कुंडली में गुरु चांडाल योग तो बनेगा किन्तु यहां पर अशुभ गुरु ही वास्तव में चांडाल का काम करेंगे तथा अशुभ गुरु के प्रभाव में आने के कारण राहु को दोष लग जाएगा

 जिसके चलते जातक को राहु की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है।

 इसलिए किसी कुंडली में गुरु तथा राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के फलों के बारे में बताने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि उस कुंडली में गुरु तथा राहु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा इन दोनों के बल आदि के बारे में भली भांति जान लिया जाए। इसी प्रकार किसी कुंडली में गुरु तथा केतु के संयोग से गुरु चांडाल योग बनने की स्थिति में भी गुरु राहु द्वारा निर्मित गुरु चांडाल योग की भांति ही विभिन्न संभावनाएं हो सकतीं हैं

तथा इस योग का फल गुरु और केतु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा बल इत्यादि पर निर्भर करेगा। किसी कुंडली में अशुभ गुरु तथा अशुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग जातक को एक घृणित व्यक्ति बना सकता है तथा ऐसा जातक जाति, धर्म आदि के आधार पर बहुत सारे लोगों को कष्ट पहुंचा सकता है या उनकी हत्या भी कर सकता है जबकि शुभ गुरु तथा शुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग समाज को आध्यतमिक तथा मानवीय रूप से बहुत विकसित जातक प्रदान कर सकता है जो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा तथा जन कल्याण में ही व्यतीत कर देते हैं। इस प्रकार गुरु चांडाल योग का परिणाम विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है तथा किसी कुंडली में गुरु तथा राहु केतु के शुभ होने की स्थिति में जातक को इस योग से बहुत अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं।

रूचक योग वाले जातक इस तरह होते है


वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी कुंडली में बनने वाले बहुत शुभ योगों में से एक माना जाता है तथा यह योग पंचमहापुरुष योग में से एक है।जिस जातक  की कुंडली में रूचक योग  होता है उसका निर्माण  कुंडली में इस तरह होता है

 पंच महापुरुष योग में आने वाले शेष चार योग हंस योग (गुरु) , माल्वय योग( शुक्र ), भद्र योग (बुध )एवम शश योग (शनि ) से बनता हैं।

 वैदिक ज्योतिष में रूचक योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न से या चन्द्रमा से केन्द्र के सभी भावो में स्थित हों अर्थात मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें भाव  में मेष, वृश्चिक अथवा मकर राशि में स्थित हों तो ऐसी कुंडली में रूचक योग बनता है

जिसका मंगल शुभ प्रभाव  हो वह जातक को शारीरिक ताकत तथा स्वास्थ्य, पराक्रम, साहस, प्रबल मानसिक क्षमता, समयानुसार उचित तथा तीव्र निर्णय लेने की क्षमता आदि प्रदान कर सकता है तथा अपनी इन विशेषताओं के चलते रूचक योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक ऐसे व्यवसायिक वह  राजनीति के क्षेत्रों में सफल तथा प्रतिष्ठित देखे जा सकते हैं

 जिनमें सफलता प्राप्त करने के लिए उपर बताईं गईं विशेषताओं की आवश्यकता हो जैसे कि पुलिस बल, सैन्य बल, खेल प्रतिस्पर्धाएं जैसे क्रिकेट, फुटबाल, टैनिस तथा कुश्ती इत्यादि। रूचक योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले पुरुष जातक अपने पराक्रम, साहस तथा कार्यकुशलता के चलते अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में बहुत धन तथा प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं

 तथा इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वालीं स्त्रियों में भी पुरुषों जैसे गुण पाये जाते हैं तथा ऐसीं स्त्रियां भी पुरुषों के द्वारा किये जाने वाले साहस के कार्य करके धन तथा ख्याति अर्जित करतीं हैं।

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

पंचमुखी हनुमान जी के अद्भुद मंत्र से दूर होती परेशानी


हर प्रकार की परेशानी से मुक्ति दिलवाता है पंचमुखी हनुमान मंत्र
हनुमान जी

पौराणिक कहानियों में हनुमान जी को अतुलित शक्तियों से लैस कहा गया है।
 हनुमान चालीसा की चौपाइयों में भी इस बात का जिक्र है कि हनुमान जी को विभिन्न देवी-देवताओं से ऐसी शक्तियां या वरदान प्राप्त हुए थे जिनके जरिए वे अत्याधिक बलशाली हो गए।पौराणिक कहानियों में हनुमान जी को अतुलित शक्तियों से लैस कहा गया है। हनुमान चालीसा की चौपाइयों में भी इस बात का जिक्र है कि हनुमान जी को विभिन्न देवी-देवताओं से ऐसी शक्तियां या वरदान प्राप्त हुए थे 
जिनके जरिए वे अत्याधिक बलशाली हो गए।हनुमान जी हर युग में मौजूद रहे हैं, उन्हें कलयुग के देवता भी कहा गया है। कहा जाता है कलयुग के मानव की हर समस्या का समाधान हनुमान जी अवश्य कर सकते हैं।ये बात तो हम सभी जानते हैं कि मनुष्य़ के जीवन में कितनी समस्याएं आएंगी और ये कब-कब आएंगी...ये सब बातें उसकी कुंडली के ग्रह ही निर्धारित करते हैं। राहु, केतु, मंगल और शनि... मुख्यतौर पर ये चार ग्रह ही होते हैं जो किसी भी जातक के जीवन में आने वाली समस्या की वजह बनते हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए अगर कोई वाकई रामबाण है तो वो है हनुमत अराधना।पंचमुखी स्वरूप

हनुमान जी के विभिन्न स्वरूप हैं, आज हम उनके पंचमुखी स्वरूप के विषय में आपको कुछ कहस बताने जा रहे हैं। हनुमान जी के इस दिव्य और चमत्कारी स्वरूप और संबंधित मंत्र से उनकी अराधना, आपके जीवन की हर नकारात्मकता को बाहर फेंक देगी और आपको आपकी हर निराशा को आशा में बदल देगी।इससे पहले हम आपको पंचमुखी हनुमान जी के मंत्र का महत्व आपको बताएं हम आपको उनके इस स्वरूप से जुड़ी पौराणिक कहानी आपको बताने जा रहे हैं।श्रीराम और रावण के युद्ध के दौरान रावण के भाई अहिरावण ने एक ऐसी चाल चली जिससे भगवान राम की पूरी सेना निद्रा अवस्था में चली गई। सेना के अचेत अवस्था में जाते ही श्रीराम और उनके भ्राता लक्ष्मण का हरण कर रावण उन दोनों को लेकर पाताल लोक पहुंच गया।हनुमान जी को जैसे ही इस घटना का पता चला वह सीधा पाताल लोक के लिए निकल गए। लेकिन उनकी यह यात्रा इतनी भी सरल नहीं थी क्योंकि पाताल नगरी के प्रवेश द्वार पर मकरध्वज खड़ा था।दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ और तब जाकर उन्होंने पातालपुरी के महल में प्रवेश किया, जहां भगवान राम और लक्ष्मण को बंधक बनाकर रखा गया था। 

इतना ही नहीं वहां पंचमुखी दीपक जल रहा था और राम-लक्ष्मण, दोनों भाइयों की बली देने का भी इंतजाम था।दीपक की लौ अलग-अलग दिशा की ओर थी और उन्हें एक साथ बुझाकर ही श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया जा सकता था।तब हनुमान जी ने पंचमुखी स्वरूप धारण किया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख प्रकट हो गया। और एक साथ उन्होंने उस दिपक को बुझाकर श्रीराम की जान बचाई।अब जानते हैं पंचमुखी हनुमान जी का मंत्र और उस मंत्र के अद्भुत फायदे। 
                                                                            
          मंत्र
ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत-पिशाच ब्रह्म राक्षस शाकिनी डाकिनी यक्षिणी पूतना मारीमहामारी राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकान् क्षणेन हन हन,भंजय भंजय मारय मारय,क्षय शिक्षय महामहेश्वर रुद्रावतार ऊँ हुम् फट स्वाहा ऊँ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्व दुष्टजन मुख स्तम्भनं कुरु स्वाहाऊँ ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ऊँ ठं ठं ठं फट् स्वाहा... इस मंत्र का नित्य दिन जाप करने से घर से कलह-क्लेश दूर रहते हैं और परिवार में समृद्धि आती हैअगर आप अपने जीवन में दुश्मनों से घिर गए हैं तो पवनपुत्र के इस मंत्र का जाप आपके शत्रुओं का नाश करता है।अगर आप हनुमान जी की नित्यदिन पूजा के साथ-साथ इस मंत्र का भी जप करते हैं, तो आपके जीवन में आने वाली हर प्रकार की संकट और बाधाएं दूर होती हैंथोड़ी देर के लिए ही सही, अगर आप एकाग्रता और पूरे ध्यान लगाकर इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको यश, वैभव, दीर्घायु और संपन्नता की प्राप्ति होती है।हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा करने से, उनके मंत्र का जाप करने से आपके जीवन से परेशानियां समाप्त होती है और भय, ऋण जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।मंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से बुरे कर्मों का भी नाश होता है।              
   नोट इस पोस्ट को शेयर कर हनुमान जी की शक्ति व मंत्र का प्रसार कर पुन्य का लाभ कमाये।जय हनुमान whatsapp no 9015768400

नमक से बदलेगी जिन्दगी ! कैसे जाने इस पोस्ट से

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देता है एक चुटकी नमक

उपाय में नमक को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नमक के अलग-अलग इस्तेमाल से घर से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मानसिक शांति, सेहत, सुख-समृद्धि और पैसे के मामले में नमक की भूमिका अहम है। वास्तु के अनुसार यदि नमक का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो एक चुटकी नमक ही काफी है दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए...।

एक चुटकी नमक का कमाल

यदि आप आए दिन बीमार रहते हैं। घर में परिवार के सदस्यों के बीच आए दिन झगड़े होते हैं। हर तरफ  नकारात्मकता नजर आती है, तो नमक वाले पानी से पूरे घर में पोंछा लगाएं। बस पोंछे वाले पानी में एक चुटकी काला नमक मिलाएं, फिर देखें इसका कमाल। कुछ दिनों में इसका असर देखने को मिल जाएगा। यदि हर दिन संभव ने हो, तो मंगलवार को जरूर नमक को पोंछा लगाएं। इस उपाय से न सिर्फ घर की नकारात्मकता दूर होगी, घर में सकारात्मक एनर्जी आएगी। परविार के सदस्य बीमार भी नहीं पड़ते हैं। सौभाग्य के दरवाजे खुलेंगे।

किसमें रखें नमक-

आप जरा अपने घर में यह देखिए कि जिस बर्तन मतें नमक रखा जा रहा है, वह किस चीज से बना है। स्टील यानी लोहे से बने बर्तन में नमक कभी नहीं रखना चाहिए। वास्तु में ऐसी मान्यता है कि नमक को हमेशा कांच के जार में भरकर रखना चाहिए। साथ ही इसमें एक लौंग डाल दें, तो फिर सोने पे सुहागा... इससे घर में सुख-समृद्धि तो रहती ही है। पैसों की भी कभी कमी महसूस नहीं होती। धन का फ्लो बना रहता है।

नमक मानसिक शांति भी देता है-

यदि आपका मन हर बेचैन रहता है। न तो घर में मन लगता, न बाहर, ना ही ऑफिस में...आप लाख कोशिश करते हैं, फिर मानसिक शांति नहीं मिल रही होती है। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए नमक का उपाय रामबाण का काम करता है। इस उपाय में भी एक चुटकी नमक कमाल करता है। जी हां, नहाते समय समय पानी में एक चुटकी नमक मिला लें और उससे स्नान करें। वास्तु विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा करने से मानसिक बेचैनी कम हो जाती है। तन-मन हमेशा तरोताजा रहता है। आलस्य से छुटकारा मिल जाता है।

डॉक्टर है नमक 

यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार चल रहा हो, तो उसके बिस्तर के पास कांच की बोतल में नमक भरकर रखें और हर महीने इसे बदल दें। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत में काफी सुधार आ सकता है। यह उपाय तब तक करते रहें, जब तक वह व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ ने हो जाए।

पहाड़ी नमक का कमाल

कोई नहीं  चाहता कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति ना  बनी रहे, लेकिन हम देखते हैं कि व्यक्ति हर तरह से सम्पन्न होता है, लेकिन बावजूद इसके उसके घर में सुख आ अभाव रहता है। शांति भंग हो जाती है। असल में वास्तुदोष होने से घर में नकारात्मकता प्रवेश होता है और व्यक्ति परेशान रहता है। इससे छुटकारा पाने के लिए या वास्तुदोष खत्म करने के लिए इसमें एक नमक का उपाय बहुत कारगर साबित हो सकता है। बाजार में पहाड़ी नमक भी मिलता है। इसे लाकर अपने घर के एक कोने में रख दें। आप कुछ ही में महसूस करेंगे कि घर की सारी नकारात्मकत एनर्जी दूर हो जाएगी। परिवार के लोग खुश रहने लगेंगे। घर में सुख-शांति फैल जाएगी।

नमक को लेकर ये दो सावधानियां.

प्राचीन मान्यता है कि यदि आप नमक सीधे किसी के हथेली में रखकर देते हैं, तो इससे उस व्यक्ति के साथ आपका झगड़ा हो सकता है। इसलिए इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि नमक कभी किसी को हाथ में न दें, बल्कि चम्मच से बर्तन के जरिए दें। इसके अलावा नमक को कभी जमीन में न गिरने दें। नमक को कभी बेकार भी मत होने दें। वास्तु के अनुसार, यदि नमक जमीन पर सीधे गिरता है, तो यह माने लें कि आप सीधे अपने दुर्भाग्य को दावत दे रहे हैं।