शनिवार, 28 जनवरी 2017

रूचक योग वाले जातक इस तरह होते है


वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी कुंडली में बनने वाले बहुत शुभ योगों में से एक माना जाता है तथा यह योग पंचमहापुरुष योग में से एक है।जिस जातक  की कुंडली में रूचक योग  होता है उसका निर्माण  कुंडली में इस तरह होता है

 पंच महापुरुष योग में आने वाले शेष चार योग हंस योग (गुरु) , माल्वय योग( शुक्र ), भद्र योग (बुध )एवम शश योग (शनि ) से बनता हैं।

 वैदिक ज्योतिष में रूचक योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न से या चन्द्रमा से केन्द्र के सभी भावो में स्थित हों अर्थात मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें भाव  में मेष, वृश्चिक अथवा मकर राशि में स्थित हों तो ऐसी कुंडली में रूचक योग बनता है

जिसका मंगल शुभ प्रभाव  हो वह जातक को शारीरिक ताकत तथा स्वास्थ्य, पराक्रम, साहस, प्रबल मानसिक क्षमता, समयानुसार उचित तथा तीव्र निर्णय लेने की क्षमता आदि प्रदान कर सकता है तथा अपनी इन विशेषताओं के चलते रूचक योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक ऐसे व्यवसायिक वह  राजनीति के क्षेत्रों में सफल तथा प्रतिष्ठित देखे जा सकते हैं

 जिनमें सफलता प्राप्त करने के लिए उपर बताईं गईं विशेषताओं की आवश्यकता हो जैसे कि पुलिस बल, सैन्य बल, खेल प्रतिस्पर्धाएं जैसे क्रिकेट, फुटबाल, टैनिस तथा कुश्ती इत्यादि। रूचक योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले पुरुष जातक अपने पराक्रम, साहस तथा कार्यकुशलता के चलते अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में बहुत धन तथा प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं

 तथा इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वालीं स्त्रियों में भी पुरुषों जैसे गुण पाये जाते हैं तथा ऐसीं स्त्रियां भी पुरुषों के द्वारा किये जाने वाले साहस के कार्य करके धन तथा ख्याति अर्जित करतीं हैं।

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